इस मामले में अभिभावकों ने समझ की परिपक्वता का परिचय दिया है।
3.
मार्टिन लूथर जैसे सुधारक और विचारक की जीवन के अन्तिम वर्षों अर्थात अपनी उम्र और समझ की परिपक्वता की स्थिति में लिखी गई पुस्तक यहूदी और उनके झूठ में अपने लोगों को धिक्कारा गया है.
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सादर शुभ आशीष! सुनीता जी ‘ मर्यादाओं का बोझ ' पढ़ा! लिखते रहि ए.... पढ़ते रहि ए.... और अपनी समझ की परिपक्वता की निरंतरता के लिए अपनी अंतरात्मा की मर्यादा को अनंत व्योम-सा विस्तार दीजिए।